Monday, October 28, 2019

On Line fraud.

 ऑन लाइन फ्रॉड पर लेख। 

वतर्मान समय में  ऑनलाइन  फ्रॉड की घटनाय भारतीय समाज  बड़ी तेजी से बड़ रहीं है ,इनटरनेट नेट के   माध्यम  से हर चौथा व्यक्ति ऑनलाइन फ्रॉड की  घटनाओ   को अंजाम  रहा है,ऐक  सर्वे  क़े मुताबिक  लगभग 60  प्रतिशत भारतीय जनता इन्टरनेट के माध्यम  से ऑनलाइन लेन देन कर  रही है , इसमें सबसे अधिक मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल लेन -देन करने के लिए किया जा रहा है , जिसके  कारण ऑनलाइन फ्रॉड की घटनाय काफी मात्रा में बढ़ गई है, ऑनलाkइन फ्रॉड में प्रमुख रूप से आइडेंटिटी थेफ़्ट ,उपभोक्ता के खातों से फ़र्ज़ी तरीके से पैसे का आहरण ,एकाउंट हैकिंग ,ए.टी.एम के माध्यम से धोखा धड़ी करके पैसे का आहरण ,इ-कॉमर्स कम्पनी के द्वारा फर्जी तरीके से एकाउंट नंबर की जानकारी लेकर ऑनलाइन फ्रॉड की घटनाओ को अंजाम दिया जा रहा है ,आर.बी.आई  भी समय समय में इस सम्बन्ध में अपने दिशा  निर्देश जारी करती रहती परन्तु इसके बावजूत ऑनलाइन फ्रॉड की घटनाय बड़ी तेजी से बढ़ रही हैं ,हालही में एक खबर प्रकाशित हुई है की वाई. फाई. डिवाइस के माध्यम से इ वॉलेट जैसे डैबिट कार्ड ,क्रैडिट कार्ड की जानकारी लेकर खातों से पैसों का आहरण किया जा सकता है , ऐसे में हर व्यक्ति को अत्यधिक सतर्कता बरतने की आव्यशकता है। आइए हम जानते है की ऑनलाइन फ्रॉड किस प्रकार किया जाता और कानून में हमे इसके लिए क्या उपचार प्राप्त है ,और हम ऑनलाइन फ्रॉड से किस प्रकार बच सकते है।

ऑनलाइन फ्रॉड 
ऑनलाइन फ्रॉड इंटरनेट के माध्यम से किया जाता है कई यूजर साइबर कैफ़े में अपनी पासवर्ड और यूजर आई डी.छोड देते है, जिसके कारण उनको ठगी का शिकार होना पडता है , इसके साथ ही ,ये. टी. एम के माध्यम से भी पैसे निकासी कुछ अनधिकृत लोगो द्वारा की जाती है, यह कार्य बड़ी ही चालाकी पूर्वक अंजाम दिया जाता है, इसमें ये. टी. एम यूजर का पासवर्ड जानकर साथ ही ये. टी. एम कार्ड को हैक करके या क्लोन करके पैसे निकासी की जाती है, हालही मे दिल्ली एवं हरियाणा मे एक गिरोह पकड़ा गया था जो ये. टी. एम कार्ड को क्लोन करके खता धारक का सारा पैसा आहरित कर लेते थे|इसके साथ ही कई लोग खता धारको एवं ये. टी. एम धारको को फ़ोन करके उनके कार्ड नम्बर की जानकारी प्राप्त कर लेते है,की वे बैंक से बोले रहे है और आपके ये. टी एम. के नम्बर की जानकारी दे, लोग धोखे मे आकर जानकारी दे देते है और अपना धन गवा बैठते है, इसके साथ ही वर्तमान मे ओ. टी. पी सिस्टम कर कर दिया गया है जिसे वन. टाइम. पसववर्ड कहते है की जानकारी बड़ी ही आसानी से यूजर द्वारा अन्य लोगो से साझा कर दीं जाती है |
आर. बी. आयी द्वारा समय समय पर दिशा निर्देश टी. वी. एवं न्यूज़ पत्रिकाओं के माध्यम से दिए जाते है, फिर भी घटनाओ मे कमी नहीं आ रही |यूजर एवं खता धारको को निम्न लिखित सावधानी का पालन करना चाहिए |
1, अगर साइबर कैफ़े मे ऑनलाइन लेन देन कर रहे हों तो वहा पर अपना पासवर्ड और आ. डी. कभी न छोड़े, उपयोग करने के बाद लॉगआउट कर दे|
2, ये. टी. एम का पासवर्ड और कार्ड नम्बर किसी को साझा न करें |
3, अपना ओ. टी. पी. नम्बर किसी से साझा न करें |
4.ये. टी. एम कार्ड का उपयोग करते समय विशेष सावधानी बरते, किसी अनजान व्यक्ति से पैसे की निकासी कभी न कराय |
5, मोबाइल फ़ोन को हमशा पासवर्ड से लॉक करके रखे, किसी अन्य व्यक्तिओ को मोबाइल फ़ोन न दे |
6.आर. बी. आई के दिशा निर्देशों का पालन करें
अगर असावधानी के कारण किसी खता धारक का पैसा उसके एकाउंट से निकल जाता है तो 7  दिवस के भीतर अपने नजदीकी बैंक से संपर्क करें जिससे कुछ राशि काट कर पैसे का भुकतान कर दिया जाता है |
ऑनलाइन फ्रॉड मे कानूनी उपचार |
ऑनलाइन फ्रॉड के तहत धारा 43 (a)सूचना प्रद्योगकी अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज किया जाता है |
साथ ही भारतीय दण्ड सहिता की धारा 420, 467, 468, के तहत मामला पंजी दर्ज किया जा सकता है |
अंत मे
सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है |
साभार
प्रदीप तिवारी [अधिवक्ता ]
जिला एवं सत्र न्यायालय कटनी
7879578306