Thursday, August 15, 2019

Cyber law on Online Identity Theft


Online Identity  Theft

  1--ऑन --लाइन पहचान चोरी किस प्रकार होगी -

  • .किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत अथवा विशिष्ट पहचान को उस व्यक्ति की अनुमति के बिना, बेईमानीपूर्वक तथा कपट पूर्वक अपने प्रयोग के लिये डाउनलोड करना, कॉपी करना, डेटा निकलना पहचान की चोरी का अपराध है |                 
  • किसी व्यक्ति की ऑन --लाइन पहचान के
  • इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर जिसमे डिजिटल हस्ताक्षर सम्मलित है |
  •  पासवर्ड/ पिन ,बायो मैट्रिक्स पहचान प्रणाली 
  • अन्य विशिष्ठ पहचान के रूप आदि 

      3-- सूचना प्रद्योगकी अधिनियम की धारा 66 -ग का उद्देश्य --- 

  •   व्यक्ति की ऑनलइन पहचान की सुरक्षा   
  •  व्यक्ति की सभी व्यक्तिगत सूचना /जानकारी /डेटा की ऑन लाइन ऑन लाइन        प्रयोग   किये जाने पर सुरक्षा प्रदान करना |

  • 4---ऑन --लाइन चोरी के अपराध को सिद्ध करने के आवश्यक तत्व ---
  • जो कोइ व्यक्ति किसी यूजर की जानबूझकर उसकी जानकारी का गलत इस्तेमाल करने के लिए इन्टरनेट से डाउनलोड करता है या कॉपी करता है, या प्राप्त जानकारी को कपट पूर्वक किसी अन्य वयक्ति से साझा करता है तो वह साइबर अपराध के अंतर्गत अपराध करीत करता है, साथ ही भारतीय दंड सहिंता के अंतर्गत दोषी कहलायगा |
  • इस धारा के अंतर्गत लिए गए कपट पूर्ण शब्द का अर्थ वही होगा जो भारतीय दंड सहिंता की धारा 25 मेँ दिया है, इस प्रकार `बेईमानी पूर्वक ´का अर्थ भारतीय दंड सहिंता की धारा 24  से लिया जाएगा ,इसी प्रकार सदोष हानि के लिए दंड सहिंता की धारा 23 से लिया जाएगा |
       5 --- अपराध ----:अगर कोइ वयक्ति किसी व्यक्ति के इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर, पासवर्ड/  पिन या किसी अन्य विशिष्ठ पहचान का कपटपूर्ण या बेईमानी पूर्वक प्रयोग करता है तो वह निम्न लिखित अपराध का दोषी होगा |
  • धारा 66--ग,  सूचना प्रद्योगकी  अधिनियम 2000 के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा |
  • अपराध अजमानतीय तीन वर्ष की सजा और जुर्माना |
  • अन्वेषण पुलिस अधिकारी द्वारा किया जाएगा 
  • जुर्माना ---एक लाख रूपए तक |
  • विचारण न्यायिक दण्डा अधिकारी प्रथम श्रेणी !
साभार -----:

प्रदीप तिवारी (अधिवक्ता)
जिला एवं सत्र न्यायालय  (कटनी)
7879578306