साइबर आतंकवाद एक परीचय ----------:
11 सितम्बर 2001 ट्विन टावर अमेरिका में किये गए आतंकवादी हमले एवं 26 नवंबर 2008 को भारत के ताज होटल में हुए आतंकवादी हमले ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया क्योकि ये हमले दो बड़े लोकतांत्रिक देशो के विरुद्ध किये गए थे,और ये दोनों हमले।, हमले के पूर्वे सावधानी न रखने के कारण , जांच एजेंसियो की लापरवाही के कारण हुये ,और हमले होने के पूर्व तैयारी न होने के कारण हुए थे ,साथ ही इंटेलिजेंस एजेंसी इतने बड़े हमले होने का पूर्वे अनुमान भी नहीं लगा पाई थी !
- साइबर आतंकवाद इंटरनेट के माध्यम से निम्न प्रकार प्रकार से किया जाता है ----:
1 --प्रारंभिक रूप से साइबर आतंकवाद इंटरनेट को टारगेट कर के किया जाता है!
2 --- साइबर आधारित आतंकवाद भौतिक जगत और वैश्विक जगत को निशाना बना कर किया जाता है , जो आभासी दुनिया के माध्यम से किया जाता है !
- साइबर आतकवाद की परीभाषा ---:
साइबर आतंकवाद को सर्व प्रथम मार्क पोलिट ने परिभाषित किया है ,उनके अनुसार ---:
"साइबर आतंकवाद से आशय है की एक उद्द्येश्य पूर्ण हमला जो किसी राजनैतिक धार्मिक उन्माद के लिए किसी देश की सम्प्रभुता, एकता , अखंडता ,को नष्ट करने के लिए इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटर द्व्रार किया जाता है "यह एक अघोषित और छदम युद्ध की तरह है ,जो सुचना तंत्र , और सुरक्छा प्रणाली को पूर्ण रूप से ध्वस्त कर देता है ,जिसका पता लगा पाना आसान नहीं होता !
साइबर आतंकवाद के प्रकार-----:
- व्यक्तिगत साइबर अपराध -------:
- जो किसी व्यक्ति को टारगेट कर किया जाता है इसके अतर्गत डेटा चोरी करना ,क्रेडिट कार्ड की जानकारी चुराना ,हैकिंग ,धमकी भरे सन्देश भेजना ,इत्यादि आता है।
- किसी देश के विरुद्ध किया गया अपराध -----:
- इस तरह का आतंकवाद किसी देश की एकता अखंडता और सम्प्रभुता को नष्ट करने के लिए किया जाता है ,यह एक तरह का छद्म यूद्ध होता है जो किसी राजनैतिक और धार्मिक उन्माद के लिए किया जाता है। ट्विनटॉवर अमेरिका , और ताज होटल एवं भारत की संसद में किया गया हमला साइबर आतंकवाद का एक उदाहरण था जो कंप्यूटर के माध्यम से किया गया था।
पूर्व सी.आई.ऐ चीफ विक्स क्रिस्टो के अनुसार इंटरनेट सेवा इतनी सस्ती और सहज उपलब्ध होने के कारण आतंकवादियों के लिए वरदान साबित हो रही है , और अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठन इसका भरपूर इस्तेमाल कर रहे है ,अमेरिका जैसे तकनीकी छेत्र में महारथी देश अलकायदा जैसे संगठनों से परेशान है तो भारत को भी जैसे मोहम्मद और लश्करे तोयबा जैसे आतंकवादी संगठनों से सावधान रहने की आवश्यकता है ,भारत में भी अलकायदा जैसे संगठन आतंकवाद फैलाना चाहते है ,आतंकवादी गतिविधियों के लिए सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल कर रहे है ,कश्मीर के कई युवको को वाट्सअप , एवं फेस बूक के माध्यम से अलकायदा जैसे संगठनों से जुड़े होने के कारण गिरफ्तार किया गया था।
साइबर आतंकवाद सबसे ज्यादा वेबसाइट के माध्यम से फैलाया जाता है ,सन 2006 में लगभग 5733 वेबसाइट बनाई थी जिसका उपयोग सन्देश भेजने के लिए किया गया था वेबसाइट निम्न तरीके से बनाई जाती है।
- इन्क्रिप्शन मेथड द्वारा
इस तकनीक के द्वारा अत्यंत काम समय वेबसाइट बना कर सन्देश वाहक को सन्देश भेजा जाता है , जिसमे प्राइवेट की का सोर्स कोड संदेश वाहक के पास होता है जिसके कारण वह तुरंत सन्देश डिकोड कर बंद कर दिया जाता है ,ऐसे में जांच एजेन्सी के लिए पता लगा पाना मुश्किल होता है की सन्देश कहा से आया और इसका सोर्स कोड क्या है।
अन्य तकनीक जो साइबर आतंकवादियों द्वारा उपयोग की जाती है।
- डेड ड्राप मेथड ----इस तकनीक में ई -मेल के माध्यम से सन्देश भेजा जाता है यह, सन्देश किसी स्लोगन पिक्चर , या थीम पर आधारित होता है ,जो की कोड वर्ड में होता है जिसको समझ पाना मुश्किल होता है।
- स्टेनोग्राफी ----------:स्टेनो ग्राफी तकनीक में भी चित्रों , स्लोगन ,पिक्चर अदि के माध्यम से कोड वर्ल्ड में सन्देश लिखे जाते है उसे आसानी से यूजर तक पहुंचाया जाता है।
- अन्य माध्यम --- :आज कल सोशल मीडिया आतंकवादियों के लिए अच्छा माध्यम बन गया है जिसके द्वारा बड़ी ही आसानी से सन्देश पहुचाये जा रहे है। फेस बुक , वाटसअप इंस्टाग्राम ,ट्विटर ,और अन्य सोशल साइट के माध्यम से आतंकवादी गतिविधिया बड़ी आसानी से संचालित हो रही है।
भारत में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए बनाय गए कानून।
सन २००४ में (टाडा )कानून बनाया गया जिसे बाद में संशोधित कर (यूं.ए.पी.ए )एक्ट बनाया गया।
हालही में (एन . आई) एक्ट में संशोधन भी किया गया है की अगर कोई व्यक्ति आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है तो उसे आतंकी घोषित किया जायेगा।
भारतीय सूचना प्रद्योगकी 2000 के अंतर्गत साइबर आतंकवाद को रोकने के लिए बनाय गए कानून ---:
किसी व्यक्ति की ऑनलाइन सम्पदा चुराने जैसे क्रेडिट कार्ड नंबर ,या अन्य जानकारी चुराने पर 66 (C ) के अन्तर्गत दोशी होता है !
इसके अलावा किसी को धमकाने या आघात करने के लिए सन्देश भेजने पर 66 (A ) के अंतर्गत दोषी होगा।
आतंकवादी गतिविधयों के लिए कंप्यूटर सोर्स कोड को तोड़ने पर धारा 65 सूचना प्राद्योगकी अधिनियम के अंतर्गत दोषी होगा।
आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के कारण सुचना प्राधौगकी अधिनियम की 66 (f ) के अंतर्गत दोषी होगा। जिसमे सात साल से ऊपर की सजा या आजीवन करवास और जुर्माना की सजा हो सकती है ।
किसी वेबसाइट ,ईमेल अदि को हैक करने पर सेक्शन 43 ,एवम धारा 66 के अंतर्गत दोषी माना जायेगा।
टेरर फन्डिंग ------: विश्व के अनेक देश वर्तमान समय में टेरर फौन्डिंग की समस्या से जूझ रहे है , ऑनलाइन माध्यम से कोर बैंकिंग समाधान के द्वारा मोबाइल बैंकिंग और नेट बैंकिंग के माध्यम से फंड एक स्थान से दूसरे स्थान पर बड़ी ही आसानी से ट्रांसफर हो जाता है,अलकायदा जैसे संग़ठन अपनी आतंकवादी गतिविधियों के संचालन के लिए इसका उपयोग कर रहे है। भारत सरकार ने टेरर फंडिंग को रोकने के लिए कड़े कदम उठाय हैँ, जिसमे कई गैर सरकारी संगठनों पर रोक लगाई है जो विदेशो से ऑनलाइन चंदा उगाही कर भारत में आतंकवाद फलते थे। साथ ही भारत सरकार ने फेमा और फेरा अधिनियम में भी संशोधन कर ऑनलाइन फौन्डिंग को रोकने का प्रयास किया है |
साभार
प्रदीप तिवारी अधिवक्ता(जिला एवं सत्र न्यायालय
कटनी )
7879578306
साइबर आतंकवाद को सर्व प्रथम मार्क पोलिट ने परिभाषित किया है ,उनके अनुसार ---:
"साइबर आतंकवाद से आशय है की एक उद्द्येश्य पूर्ण हमला जो किसी राजनैतिक धार्मिक उन्माद के लिए किसी देश की सम्प्रभुता, एकता , अखंडता ,को नष्ट करने के लिए इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटर द्व्रार किया जाता है "यह एक अघोषित और छदम युद्ध की तरह है ,जो सुचना तंत्र , और सुरक्छा प्रणाली को पूर्ण रूप से ध्वस्त कर देता है ,जिसका पता लगा पाना आसान नहीं होता !
साइबर आतंकवाद के प्रकार-----:
- व्यक्तिगत साइबर अपराध -------:
- जो किसी व्यक्ति को टारगेट कर किया जाता है इसके अतर्गत डेटा चोरी करना ,क्रेडिट कार्ड की जानकारी चुराना ,हैकिंग ,धमकी भरे सन्देश भेजना ,इत्यादि आता है।
- किसी देश के विरुद्ध किया गया अपराध -----:
- इस तरह का आतंकवाद किसी देश की एकता अखंडता और सम्प्रभुता को नष्ट करने के लिए किया जाता है ,यह एक तरह का छद्म यूद्ध होता है जो किसी राजनैतिक और धार्मिक उन्माद के लिए किया जाता है। ट्विनटॉवर अमेरिका , और ताज होटल एवं भारत की संसद में किया गया हमला साइबर आतंकवाद का एक उदाहरण था जो कंप्यूटर के माध्यम से किया गया था।
पूर्व सी.आई.ऐ चीफ विक्स क्रिस्टो के अनुसार इंटरनेट सेवा इतनी सस्ती और सहज उपलब्ध होने के कारण आतंकवादियों के लिए वरदान साबित हो रही है , और अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठन इसका भरपूर इस्तेमाल कर रहे है ,अमेरिका जैसे तकनीकी छेत्र में महारथी देश अलकायदा जैसे संगठनों से परेशान है तो भारत को भी जैसे मोहम्मद और लश्करे तोयबा जैसे आतंकवादी संगठनों से सावधान रहने की आवश्यकता है ,भारत में भी अलकायदा जैसे संगठन आतंकवाद फैलाना चाहते है ,आतंकवादी गतिविधियों के लिए सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल कर रहे है ,कश्मीर के कई युवको को वाट्सअप , एवं फेस बूक के माध्यम से अलकायदा जैसे संगठनों से जुड़े होने के कारण गिरफ्तार किया गया था।
साइबर आतंकवाद सबसे ज्यादा वेबसाइट के माध्यम से फैलाया जाता है ,सन 2006 में लगभग 5733 वेबसाइट बनाई थी जिसका उपयोग सन्देश भेजने के लिए किया गया था वेबसाइट निम्न तरीके से बनाई जाती है।
- इन्क्रिप्शन मेथड द्वारा
इस तकनीक के द्वारा अत्यंत काम समय वेबसाइट बना कर सन्देश वाहक को सन्देश भेजा जाता है , जिसमे प्राइवेट की का सोर्स कोड संदेश वाहक के पास होता है जिसके कारण वह तुरंत सन्देश डिकोड कर बंद कर दिया जाता है ,ऐसे में जांच एजेन्सी के लिए पता लगा पाना मुश्किल होता है की सन्देश कहा से आया और इसका सोर्स कोड क्या है।
अन्य तकनीक जो साइबर आतंकवादियों द्वारा उपयोग की जाती है।
- डेड ड्राप मेथड ----इस तकनीक में ई -मेल के माध्यम से सन्देश भेजा जाता है यह, सन्देश किसी स्लोगन पिक्चर , या थीम पर आधारित होता है ,जो की कोड वर्ड में होता है जिसको समझ पाना मुश्किल होता है।
- स्टेनोग्राफी ----------:स्टेनो ग्राफी तकनीक में भी चित्रों , स्लोगन ,पिक्चर अदि के माध्यम से कोड वर्ल्ड में सन्देश लिखे जाते है उसे आसानी से यूजर तक पहुंचाया जाता है।
- अन्य माध्यम --- :आज कल सोशल मीडिया आतंकवादियों के लिए अच्छा माध्यम बन गया है जिसके द्वारा बड़ी ही आसानी से सन्देश पहुचाये जा रहे है। फेस बुक , वाटसअप इंस्टाग्राम ,ट्विटर ,और अन्य सोशल साइट के माध्यम से आतंकवादी गतिविधिया बड़ी आसानी से संचालित हो रही है।
भारत में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए बनाय गए कानून।
सन २००४ में (टाडा )कानून बनाया गया जिसे बाद में संशोधित कर (यूं.ए.पी.ए )एक्ट बनाया गया।
हालही में (एन . आई) एक्ट में संशोधन भी किया गया है की अगर कोई व्यक्ति आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है तो उसे आतंकी घोषित किया जायेगा।
भारतीय सूचना प्रद्योगकी 2000 के अंतर्गत साइबर आतंकवाद को रोकने के लिए बनाय गए कानून ---:
किसी व्यक्ति की ऑनलाइन सम्पदा चुराने जैसे क्रेडिट कार्ड नंबर ,या अन्य जानकारी चुराने पर 66 (C ) के अन्तर्गत दोशी होता है !
इसके अलावा किसी को धमकाने या आघात करने के लिए सन्देश भेजने पर 66 (A ) के अंतर्गत दोषी होगा।
आतंकवादी गतिविधयों के लिए कंप्यूटर सोर्स कोड को तोड़ने पर धारा 65 सूचना प्राद्योगकी अधिनियम के अंतर्गत दोषी होगा।
आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के कारण सुचना प्राधौगकी अधिनियम की 66 (f ) के अंतर्गत दोषी होगा। जिसमे सात साल से ऊपर की सजा या आजीवन करवास और जुर्माना की सजा हो सकती है ।
किसी वेबसाइट ,ईमेल अदि को हैक करने पर सेक्शन 43 ,एवम धारा 66 के अंतर्गत दोषी माना जायेगा।
टेरर फन्डिंग ------: विश्व के अनेक देश वर्तमान समय में टेरर फौन्डिंग की समस्या से जूझ रहे है , ऑनलाइन माध्यम से कोर बैंकिंग समाधान के द्वारा मोबाइल बैंकिंग और नेट बैंकिंग के माध्यम से फंड एक स्थान से दूसरे स्थान पर बड़ी ही आसानी से ट्रांसफर हो जाता है,अलकायदा जैसे संग़ठन अपनी आतंकवादी गतिविधियों के संचालन के लिए इसका उपयोग कर रहे है। भारत सरकार ने टेरर फंडिंग को रोकने के लिए कड़े कदम उठाय हैँ, जिसमे कई गैर सरकारी संगठनों पर रोक लगाई है जो विदेशो से ऑनलाइन चंदा उगाही कर भारत में आतंकवाद फलते थे। साथ ही भारत सरकार ने फेमा और फेरा अधिनियम में भी संशोधन कर ऑनलाइन फौन्डिंग को रोकने का प्रयास किया है |
साभार
प्रदीप तिवारी अधिवक्ता(जिला एवं सत्र न्यायालय
कटनी )
7879578306
साभार
प्रदीप तिवारी अधिवक्ता(जिला एवं सत्र न्यायालय
कटनी )
7879578306