न्याय सब के लिये
भारत का संविधान 26 जनवरी सन 1950 को पारित हुआ।संविधान के अनुसार ,भारत मे निवास करने वाले सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए, जिमसें समानता का अधिकार ,जीने का अधिकार, संपत्ति का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार ,शिक्षा का अधिकार ,ओर समान रूप से न्याय पाने का अधिकार प्रमुख रूप से है, पर फिर भी गरीब और सर्वहारा वर्ग के लिये न्याय पाना एक दूर की कोडी थीं
रहीम दास जी का दोहा है -:
दिनहीँ सबन को लखत है, दिनहीँ लखे न कोई।।
जो रहीम दिनहीँ लखे ,दीन बन्धु सम होइ।।
इस दोहे का सार है, की जो दीन ओर गरीब व्यक्ति होता है, वह समाज के हर व्यक्ति के प्रति समर्पण भाव रखता है,परन्तु उसके प्रति कोई समर्पण का भाव नही रखता ,ओर वह अपने आप को समाज से कटा हुआ महसूस करता है ,परंतु अगर समाज का बड़ा तबका उसका ख्याल रखे तो समाज मे समरसता होगी और समाज आगे बढ़ेगा, इसी दोहे की पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए भारत सरकार ने संविधान में संशोधन करते हुए अनुच्छेद 39(A)जोड़ा जिससे गरीब तबके के लोगों को बिना कोई राशि' पैसा दिये न्याय मिल सके, इसके लिये भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय ,ओर जिला न्यायालय, ओर यहां तक कि सुदूर ग्रामीण छेत्र में भी जहा पर न्यायालय संचालित हो रहे है,विधिक सेवा केंद्रों की स्थपना की,जिसके माध्यम से गरीब तबके के व्यक्ति जिसके पास न्याय पाने के लिए पैसा और संसाधन नही है,आवेदन करने पर तत्काल विधिक सहायता प्रदान की जाती है, राज्य के प्रत्येक जिले में विधिक सहायता केंद्र स्थापित किये गए हैं, जो प्रत्येक जिले के जिला एवं सत्र न्यायालय के अंतर्गत आते है ,जिसका संचालन सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा किया जाता है, साथ ही विधिक सेवा अधिकारी विधिक सेवा प्राधिकरण की योजनाओं और जनता को सुलभ न्याय पहुचाने के लिये तत्पर रहते है।गरीब जनता को सुलभ न्याय प्रदान करने के लिये विधिक सहायता प्राधिकरण द्वारा योग्य अधिवक्ताओ की नियुक्ति की जाती है, जो न्यायालय में पक्छ कार से बिना कोई शुल्क लिये पैरवी करते है, साथ ही प्राधिकरण द्वारा पैरा लीगल वोलेंटियर की भी नियुक्ति की जाती हैं, जो विधि सेवा केंद्रों में आने वाले पीड़ित व्यक्तियों की न केवल काउंसलिंग करते है, बल्कि उन्हें कानूनी सहायता प्रदान करने के लिये हर संभव प्रयास करते है।वर्तमान में विधिक सहयता प्राधिकरण का दायरा काफी व्यापक हो गया, जिसके अंतर्गत लोक अदालत का आयोजन कर न्यायालय में लंबित मुकदमो का पक्छ कारो के मध्य समझौता कराकर मुकदमो का निराकरण करना मुख्य कार्य है।साथ ही ,जिला विधिक सेवा अधिकरण द्वारा समय-2 सामाजिक संस्थाओं की सहायता लेकर विधिक सहायता शिवरों का आयोजन किया जाता हैं, जिसके माध्यम से बालको, महिलाओ ,के क्या अधिकार है, की कानूनी जानकारी प्रदान की जाती है,, साथ ही विधि सहायता किस प्रकार प्रदान की जाती है, इसकी जानकारी सहज रूप से जनता को प्रदान की जाती है। इसी कड़ी में प्रत्येक माह में जिले के विद्यालयों एवं महा विद्यालयों में विधक सहायता शिवर का आयाजन किया जाता है, जिसके मार्फ़त विधिक सेवा की जानकारी आम जनमानस को दी जाती है, इस तरह से संविधान की मंशा के अनुसार ,भारत सरकार एवं माननीय सरवोच्च न्यायालय के निर्देश पर विधिक सेवा प्राधिकरण न्याय सब के लिये की मंशा को साकार कर रहा है।
साभार
प्रदीप कुमार तिवारी(अधिवक्ता)
पैनल (अधिवक्ता )
विधिक सेवा प्राधिकरण
जिला एवं सत्र न्यायालय कटनी
7879578306