रष्ट्रीय सुरक्छा कानून क्या है।
भारत के अंदर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को भारतीय संसद में 23 सितंबर सन 1980 में कुछ परिस्थितियों में भारत विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिये पारित किया गया था।जिसके अंतरगत 18 सेक्शन है,यह अधिनयम जम्मू कश्मीर समेत सम्पूर्ण भारत मे लागू होता है,जो की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को रोकने का काम करता है। इस अधनियम का प्रमुख उद्देश्य यह है, की अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य देश के साथ मिलकर देश विरोधी गतिविधयों का संचालन करता है, या किसी अन्य देश के व्यक्ति के साथ मिलकर देश की रक्छा से संबंधित गुप्त सूचनाएं साझा करता है, या देश मे ही दूसरे देश से प्रभावित होकर देश विरोधी नारे लगता है, युद्ध जैसे हालात उत्पन्न करता है, भारत के राष्ट्रीय झंडे का अपमान करता है,तो वह राष्ट्र विरोधी माना जायेगा , जिसके लिये उसे सजाय मोत भी हो सकती है।
राष्ट्रीय सुरक्छा कानून का इतिहास।
राष्ट्रीय सुरक्छा कानून ऐसा कोई पहला कानून नही है जो इसे देश में लाया गया हो, जैसा कि आप सभी जानते है कि इस देश मे अभी भी हम अग्रेजो के बनाय गए कानूनों कॊ ढो रहे है, तो भारत में भी इसकी शुरुआत राष्ट्रीय कानून के नाम पर ,लार्ड मैकाले ने रखी ,जो भारतीय शिक्षा पद्धति का जन्म दाता भी था,इसके बाद दूसरे विश्व युद्ध के समय सन 1915 में इसमें संशोधन किया गया और रॉलेट बिल के नाम से भारत में लागू किया गया जिसके विरोध में जलिया वाला बाग हत्या काण्ड हुआ, इसी कानून का विरोध करने इकठ्ठे हुए सीखो को जर्नल डाय र ने भून डाला ,और उसी कानून को आज भी हम लागू किए हुए है, जो ब्रिटेन में समाप्त कर दिया गया आस्ट्रेलिया अमेरिका एवंं अन्य लोकतांत्रिक देशो में बड़ी ही सावधानी पूर्वक इस कानून को अमल में लाया जाता है, जिससे आम नागरिकों को कोई तकलीफ़ ना हो। भारत के संविधान के अनुच्छेद 21,22 में भारत के लोगो को जीवन कि रक्छा और स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है, जिसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय ये के गोपालन यूनियन ऑफ इंडिया तथा मेनका गाधी विरूद्ध यूनियन ऑफ इंडिया के केस में विस्तार से समझाया गया है की राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर फर्जी किसी को नहीं फसाया जा सकता । राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का दुरुपयोग ना केवल इस सरकार में बल्कि पूर्व वार्ती सरकारों ने भी किया है अकड़े बताते कि सन् 1993 में 3783 मामलों में 72.3% लोगो को राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून से बरी किया गया , इंद्रा गांधी जी की सरकार में भी इसका खूब दुरपयोग हुआ । वर्तमान सरकार में ऎसा दुरपयोग हो रहा कि जिसकी कोई कल्पना भी नहीं की जा सकती,अगर कोई सरकार से किसी मुद्दे से भिन्नता रखता है तो वह देश विरोधी नहीं हो सकता , सरकार से विरोधी होना एक स्वस्थ लोकतंत्र का हिस्सा है।
उपसंहार
सरकार अती जाती रहती है, पर बेचारी पिसती है आम जनता अगर किसी ,एक व्यक्ति को भी झूठा फसाया जाता है तो उसका परिवार तबाह हो जाता ,क्योंकि भारत की न्याय व्यवस्था ऎसी है कि फैसला आने में काफी समय लग जाता है। अतः इस कानून को समाप्त किया जाना उचित हैै l
प्रदीप तिवारी अधिवक्ता
जिला और सत्र न्यायालय
कटनी
मोबाइल (7879578306)