Thursday, January 30, 2025

Blog On New Education Policy

               Blog on New Education Policy 
  
Blog On New Education Policy 
Establish a uniform educational framework that actively contributes to the nation’s transformation. It delivers top-tier education to all citizens and positions India as a global knowledge leader.
The policy seeks to provide all students with a high-quality education system regardless of location. It emphasizes support for historically marginalized, disadvantaged, and under-represented communities. Along with this, more emphasis was laid on competitive examinations and grades. Until July 2020, India has witnessed several changes in its educational infrastructure that followed the same 10+2 system.
What is the NEP 2020?
The Indian government’s New Education Policy is referred to as NEP. In July 2020, the Union Cabinet of India approved the New National Education Policy (NEP) to bring modern reforms to the Indian education system from the school to the college level. This policy supports the ideology of making India a ‘global knowledge superpower.’ In addition, with the introduction of NEP in 2020, the Ministry of Human Resource Development was renamed to the Ministry of Education.
The new National Education Policy is based on the pillars of Access, Equity, Quality, Affordability, and Accountability. It aims to make both school and college education more holistic, multidisciplinary, and flexible, which aligns with the 2020 agenda for sustainable development.
NEP Guidelines: Key Points

Holistic Approach: The New Education Policy 2024 (NEP) aims to foster the overall cognitive, emotional, and societal development of students.

  1. ECCE Emphasis: Focus on Early Childhood Care and Education ensures strong foundational learning for every child.
  2. New Structure: A revamped 5+3+3+4 curriculum structure integrates experiential and skill-based learning.
  3. Vocational Push: By 2025, the goal is for 50% of learners to have vocational education exposure.
  4. Regional Language Priority: NEP encourages instruction in regional or home languages up to Grade 5.
  5. Digital Integration: Incorporating tech-driven platforms like DIKSHA ensures accessible quality education.
  6. Rethinking Assessments: Move from summative to a more comprehensive, adaptive evaluation system.
  7. Teacher Training: Continuous professional development and training modules align educators with the new methodologies.
  8. Inclusivity and EquityNew Education Policy 2024 commits to ensuring education for all, irrespective of socioeconomic or physical barriers.

    The objective of New Education Policy 2025

  9. The prime goal of the National Education Policy is to elevate the standard of education in India to a global level, thereby enabling the country to emerge as a leader in knowledge-based industries. This objective is achieved through the universalization of education outlined in the National Education Policy.  To this end, the government has implemented several amendments to the old education policy under the New Education Policy 2024 (NEP), aimed at enhancing the quality of education and enabling children to access good education.



Saturday, October 7, 2023

PRADEEP TIWARI: मंगलायतन विश्व विद्यालय में एक दिवसीय विधिक कार्यश...

PRADEEP TIWARI: मंगलायतन विश्व विद्यालय में एक दिवसीय विधिक कार्यश...: मंगलायतन विश्विद्यालय  द्वारा एक दिवसीय विधिक कार्यशाला का आयोजन किया गया। दिनांक 6/10/2023  को  मंगलायतन विश्विविद्यालय के विधि संकाय में अ...

मंगलायतन विश्व विद्यालय में एक दिवसीय विधिक कार्यशाला का आयोजन किया गया।

मंगलायतन विश्विद्यालय  द्वारा एक दिवसीय विधिक कार्यशाला का आयोजन किया गया।

दिनांक 6/10/2023  को  मंगलायतन विश्विविद्यालय के विधि संकाय में अध्ययन रत, बी.ए. एल.एल.बी. ,बी.कॉम. एल.एल .बी. एवं         एल.एल.बी.तृतीय एवं पंचम सेमेस्टर के विद्यार्थियों  के लिए,मंगलायतन विश्विद्यालय  के उप कुल पति के.आर.यस संबिस्वा रॉव एवं प्रो वॉइस चांसलर श्री मति विनीता सलुजा जी के मार्गदर्शन एवं विधि संकाय के विभाग अध्यक्ष  डॉ नीरज प्रकाश राय जी के कुशल निर्देशन में"प्रक्टिकल ट्रैनिंग इन एडवोकेसी विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया ,उक्त  कार्यशाला का उद्देश्य विधि के छात्रों को वकालत के व्योहरिक ज्ञान से अवगत कराना था, उक्त कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रुप में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के ख्याति लब्ध अधिवक्ता श्री परिमल चतुर्वेदी जी, उपस्थित हुए, कार्यक्रम का शुभारंभ परंपरा अनुसार दीप प्रज्वलित किया गया,  दीप प्रज्वलन उपरांत विधि संकाय के विभागध्यक्ष श्री नीरज प्रकाश राय एवं कार्यक्रम समन्वयक श्री  ऐश्वर्य शर्मा द्वारा मुख्य वक्ता के रूप में पधारे श्री  परिमल चतुर्वेदी जी का स्वागत पुष्प गुच्छ एवं शॉल एवं श्री फल भेंट कर किया तदुपरांत श्री चतुर्वेदी जी ने क्रिमनल एंव सिविल कसो की बारीकियों को बहुत ही सुंदर तरीके से समझाया,   कार्यक्रम के अंत मे श्री ऐश्वर्य शर्मा जी द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया , कार्यक्रम का संचालन उक्त आयोजित कार्यक्रम के अध्यक्ष सहायक प्राध्यापक डॉ प्रदीप कुमार तिवारी द्वारा किया गया, कार्यक्रम को  सफल बनाने में विधि संकाय में कार्यरत सहायक प्राध्यापक कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ प्रदीप कुमारतिवारी,श्रीमति सृष्टि सोनी, शिवांगी चौहान, डॉ पूजा अग्रवाल, कार्यक्रम समन्वयक  श्री ऎश्वर्य शर्मा जी का रहा।।

साभार
डॉ प्रदीप कुमार तिवारी
सहायक प्राध्यापक
मंगलायतन विश्व विद्यालय

Thursday, July 13, 2023

समान नागरिक सहिंता मुद्दे ओर चुनौती

   

                                                            समान  नागरिक सहिंता 

                      
   

        समान नागरिक सहिंता क्या है ?

समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) क्या है?

  • भारतीय संविधान के भाग 4 (राज्य के नीति निदेशक तत्त्व) के तहत अनुच्छेद 44 के अनुसार भारत के समस्त नागरिकों के लिये एक समान नागरिक संहिता होगी। इसका व्यावहारिक अर्थ है कि, भारत के सभी धर्मों के नागरिकों के लिये एक समान धर्मनिरपेक्ष कानून होना चाहिये। संविधान के संस्थापकों ने राज्य के नीति निदेशक तत्त्व के माध्यम से इसको लागू करने की ज़िम्मेदारी बाद की सरकारों को हस्तांतरित कर दी थी।
  • समान नागरिक संहिता के अंतर्गत व्यक्तिगत कानून, संपत्ति संबंधी कानून और विवाह, तलाक तथा गोद लेने से संबंधित कानूनों में मत भिन्नता है।
नोट: भारत में अधिकतर व्यक्तिगत कानून धर्म के आधार पर तय किये गए हैं। हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्मों के व्यक्तिगत कानून हिंदू विधि से संचालित किये जाते हैं, वहीं मुस्लिम तथा ईसाई धर्मों के अपने अलग व्यक्तिगत कानून हैं। मुस्लिमों का कानून शरीअत पर आधारित है, जबकि अन्य धार्मिक समुदायों के व्यक्तिगत कानून भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानून पर आधारित हैं। अब तक गोवा एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ पर समान नागरिक संहिता लागू है।इसके अलावा किसी भी अन्य राज्य द्वारा इसको लागू करने में कोई तत्परता नहीँ दिखाई।

समान नागरिक संहिता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भारत मे समान नागरिक संहिता को लागू करने का इतिहास बहुत पुराना है, सन् 1835 में जब भारत ब्रटिश सरकार के अधीन था, तब एक रिपोर्ट सोपि गई थी, जिसमे समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कही गई थी, परंतु व्यकिगत मामलों में हस्तक्षेप न करते हुए, आपराधिक मामलों की एक समान संहिता बनाई गई जिसमें आपराधिक मामलों की  भारतीय दंड संहित ,भरतीय साक्छ्य अधिनियम , ओर सविंदा अधिनियम को शामिल किया गया, इसमें हिन्दू विधि,और मुस्लिम विधि को पृथक रखा गया, सन 1941 में बी यन राय कमेटी का ब्रिटिश सरकार द्वारा गठन किया गया , जिसमे हिन्दू शास्त्रों को आधार मान कर संहिता बद्धको  से एक कानून बनाने का प्रयास किया  जो महिलाओं को अधिकार प्रदान करने की बात करती हैं, इसके साथ ही समिति द्वारा उत्तराधिकार अधिनियम ओर हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत कानून बनाने की बात की , स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् सन 1951 में बी.एन. राय कमेटी द्वारा तयार मसौदे को डॉ बी. आर.  अम्बेडकर की अध्यक्छ्ता वाली संसद की प्रवर समिति  के समक्छ रखा गया , सन 1952 में उक्त  बिल पर संसद  में चर्चा शुरू हुई बिल में कई कमिया होने के कारण इसे सुधार के लिए भेज दिया गया सुधार उपरांत सन 1956 में इसे लागू किया गया जिसके अंर्तगत जैन ,बुद्ध ,सिख , आदि धर्मो के व्यक्तिगत क़ानून को शामिल किया ,जो हिन्दू उत्तराधिकार अधिनयम 1956 के नाम से लागू हुआ ,साथ हिन्दू विवाह अधिनियम को भी लागू किया गया |  

  हलाकि मुस्लिम, इसाई और पारसी लोगों के लिये अलग-अलग व्यक्तिगत कानून थे।

  • कानून में समरूपता लाने के लिये विभिन्न न्यायालयों ने अक्सर अपने निर्णयों में कहा है कि सरकार को एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयास करना चाहिये।
    • शाह बानो मामले (1985) में दिया गया निर्णय सर्वविदित है।
    • सरला मुद्गल वाद (1995) भी इस संबंध में काफी चर्चित है, जो कि बहुविवाह के मामलों और इससे संबंधित कानूनों के बीच विवाद से जुड़ा हुआ था।
    • व्यक्तिगत कानूनों पर समान नागरिक संहिता के निहितार्थ

      • समाज के संवेदनशील वर्ग को संरक्षण
        • समान नागरिक संहिता का उद्देश्य महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित संवेदनशील वर्गों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है, जबकि एकरूपता से देश में राष्ट्रवादी भावना को भी बल मिलेगा।
      • कानूनों का सरलीकरण
        • समान संहिता विवाह, विरासत और उत्तराधिकार समेत विभिन्न मुद्दों से संबंधित जटिल कानूनों को सरल बनाएगी। परिणामस्वरूप समान नागरिक कानून सभी नागरिकों पर लागू होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों।
      • धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को बल:
        • भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द सन्निहित है और एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य को धार्मिक प्रथाओं के आधार पर विभेदित नियमों के बजाय सभी नागरिकों के लिये एक समान कानून बनाना चाहिये।
      • लैंगिक न्याय
        • यदि समान नागरिक संहिता को लागू किया जाता है, तो वर्तमान में मौजूद सभी व्यक्तिगत कानून समाप्त हो जाएंगे, जिससे उन कानूनों में मौजूद लैंगिक पक्षपात की समस्या से भी निपटा जा सकेगा।

      चुनौतियाँ

      • केंद्र सरकार के पारिवारिक कानूनों में मौजूद अपवाद
        • स्वतंत्रता के बाद से संसद द्वारा अधिनियमित सभी केंद्रीय पारिवारिक कानूनों में प्रारंभिक खंड में यह घोषणा की गई है कि वे ‘जम्मू-कश्मीर राज्य को छोड़कर पूरे भारत में लागू होंगे।’
        • इन सभी अधिनियमों में 1968 में एक दूसरा अपवाद जोड़ा गया था, जिसके मुताबिक ‘अधिनियम में शामिल कोई भी प्रावधान केंद्रशासित प्रदेश पुद्दुचेरी पर लागू होगा।’
        • एक तीसरे अपवाद के मुताबिक, इन अधिनियमों में से कोई भी गोवा और दमन एवं दीव में लागू नहीं होगा।
        • नगालैंड और मिज़ोरम से संबंधित एक चौथा अपवाद, संविधान के अनुच्छेद 371A और 371G में शामिल किया गया है, जिसके मुताबिक कोई भी संसदीय कानून इन राज्यों के प्रथागत कानूनों और धर्म-आधारित प्रणाली का स्थान नहीं लेगा।
      • सांप्रदायिक राजनीति
        • कई विश्लेषकों का मत है कि समान नागरिक संहिता की मांग केवल सांप्रदायिक राजनीति के संदर्भ में की जाती है।
        • समाज का एक बड़ा वर्ग सामाजिक सुधार की आड़ में इसे बहुसंख्यकवाद के रूप में देखता है।  
      • संवैधानिक बाधा
        • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25, जो किसी भी धर्म को मानने और प्रचार की स्वतंत्रता को संरक्षित करता है, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में निहित समानता की अवधारणा के विरुद्ध है।

      आगे की राह

      • परस्पर विश्वास निर्माण के लिये सरकार और समाज को कड़ी मेहनत करनी होगी, किंतु इससे भी महत्त्वपूर्ण यह है कि धार्मिक रूढ़िवादियों के बजाय इसे लोकहित के रूप में स्थापित किया जाए।
      • एक  सर्वव्यापी दृष्टिकोण के बजाय सरकार विवाह, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे अलग-अलग पहलुओं को चरणबद्ध तरीके से समान नागरिक संहिता में शामिल कर सकती है।
      •  
      • सभी व्यक्तिगत कानूनों को संहिताबद्ध किया जाना काफी महत्त्वपूर्ण है, ताकि उनमें से प्रत्येक में पूर्वाग्रह और रुढ़िवादी पहलुओं को रेखांकित कर मौलिक अधिकारों के आधार पर उनका परिक्षण किया जा सके 
    • श्रोत -
    • द हिन्दू समाचार पत्र 
    • द्रष्टि आई. ये. एस. वैब साइड 

    •       साभार 
    • डॉ प्रदीप कुमार तिवारी 
    • सहायक प्राध्यापक 
    • एल.एन.सी.टी
    • विश्व विद्यालय (विधि संकाय )


Thursday, June 1, 2023

​Cyber Law in General Perspective | Author: Dr. Pradeep K. Tiwari, Dr. Suresh K. Trivedi, Mr. Aditya Mishra

MRP: 250/-
In current scenario cyber law has become a major issue for discussion in the public domain. The researches show that every fourth people become the victim of the cyber crime and cyber related issue like, phishing attack, online theft, data theft, denial of service attack, cyber pornography, cyber terrorism, cyber stalking etc. this book covers these general issues according to the common man perspective in a way to enable him to become aware about these general issues so as to be capable of dealing with these issues by himself. Authors has tried to cover all the content related to the cyber law issue according to the general perspective rather than from the perspective of an expert. The book also covers the latest data protection laws of the country such as Digital Data Protection Bill, 2022 with comparative study of the data protection legislations of the other jurisdictions such as EU's GDPR.





Details of Book: Cyber Law in General Perspective

Book:Cyber Law in General Perspective
Author:Dr. Pradeep K. Tiwari, Dr. Suresh K. Trivedi, Mr. Aditya Mishra
Category:Law, Education
ISBN-13:9789395773232
Binding & Size:Paperback (5.5" x 8.5")
Publishing Date:April 2023
Number of Pages:120
Language:English
Reader Rating:   N/A


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Tuesday, April 4, 2023

Madhav university organized two days professional training programme in advocacy.


माधव विश्वविद्यालय  के विधि संकाय  द्वारा दो दिवसीय प्रोफेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम इन एडवोकेसी  पर कार्यशाला का आयोजन किया गया 


 दिनांक 24/3/2023को माधव विश्वविद्यालय के विधि संकाय में प्रोफेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम इन एडवोकेसी के तहत दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन मूट कोर्ट परिसर में किया गया, उक्त कार्यशाला के प्रथम दिन अधिवक्ता शोएब पठान मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित हुए, मुख्यथिति के रूप में विश्व विद्यालय के प्रो वाइस चांसलर डॉक्टर कमलेश उपस्थित हुए, कार्यक्रम की अध्यक्षता विधि संकाय के अधिष्ठाता डॉक्टर दिलीप उपाध्याय जी की, विशिष्ट अथिति के रूप में डॉक्टर विद्या शक्तावत डीन अकादेमिक संकाय एवम कुल सचिव भुवनेश चतुर्वेदी जी उपस्थित हुए, कार्यक्रम का शुभारभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवम सरस्वती वंदना के पश्चात हुआ, विश्वविद्यालय की सहायक प्राध्यापिका श्रीमती मीनू शर्मा दायमा एवं  विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई, तदुप्रांत विश्विद्यालय के प्रो वाइसचांसलर ने अपने उद्बोधन में कहा की विधि व्यवसाय एक चुनौती पूर्ण कार्य है,जिसे धैर्य से सीखा जाना चाहिए साथ उन्होंने ने बताया की विधि के विद्यार्थियों को जीवन में अनेक अवसर प्राप्त होते है,एक विधि का विद्यार्थी सर्वोच्च न्यायालय में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड बन सकता है, अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विधि संकाय के अधिष्ठाता डॉक्टर डी,के, उपाध्याय ने बताया की विधि व्यवसाय में विद्यार्थी तभी तरक्की कर सकता है,जब वह केस की अच्छे से तयारी करे एवम फोजदारी मामले की  धराय है, उनको बारीकी से पढ़े, पढ़ने से ही एक विधि का विद्यार्थी अच्छा वकील बन सकता है,उद्बोधन उपरांत विधिवत  कार्यशालाका आयोजन हुआ जिसमें मुख्यवक्ता श्री शोएब पठान जी ने अधिवक्ता आबूरोड, विद्यार्थियों को फौजदारी मामले की पैरवी किस प्रकार की जाती है व्याख्यान दिया, जिसके अंतर्गत उन्होंने 304 बी भारतीय दण्ड विधान के प्रकरण का उदहारण देकर जमानत की पूर्ण प्रक्रिया को समझाया , जिसके अंतर्गत उन्होंने अधिवक्ता पत्र किस प्रकार तयार किया जाता है, साथ ही जमानत के पेपर किस प्रकार तयार किए जाते है, बताया।।भोजन उपरांत पुनः कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमे मुख्य वक्ता द्वारा विधि व्यवसाय की बारीकियों को समझाया गया, कार्यशाला के दूसरे दिन आबू रोड जिला एवं सत्र न्यायालय में कार्यरत प्रख्यात अधिवक्ता श्री मति दुर्गेश शर्मा प्रमुख वक्त  रुप में उपस्थित हुई , उन्होंने सिविल प्रक्रिया सहिता की बारीकियों को समझाया साथ ही महिला अपराधों के विभिन्न प्रावधानों को उन्होंने बखूबी समझया , उक्त कार्य क्रम में प्रो वइस चांसलर डॉ रणदीप सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए ,कार्यक्रम का संचालन मूट कोर्ट प्रभारी एवं कार्यशाला समन्व्यक डॉ प्रदीप कुमार तिवारी द्वारा किया गया , कार्यक्रम सफल बनाने विधि विभाग में कार्यरत समस्त प्रध्यापको एवं विद्यार्थियों की भूमिका सराहनीय रही 

साभार 
डॉ प्रदीप कुमार तिवारी 
सहायक प्राध्यापक 
माधव विश्वविद्यालय 

Saturday, July 9, 2022

विधिक सहायता कार्ययालय में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

 विधिक सहायता परिसर कटनी में पैनल लॉयर एवं पैरा लीगल वोलेंटियर के प्रशिक्षण हेतु कार्यशाला आयोजित ।।


आज दिनांक 9।7।2022 को विधिक सहायता कार्य यालय जो  जिला एवं सत्र न्यायालय कटनी में इस्थिति है में,विधिक सहायता पैनल अधिवक्ता एवं पैरा लीगल वोलेंटियर के प्रशिक्षण हेतु कार्यशाल का आयोजन किया गया जिसमें परिवार न्यायालय कटनी के प्रधान न्यायाधीश श्री रविन्द्र सिंह मुख्य वक्ता एवं मुख्य ट्रेनर के रूप में शामिल हुए ।प्रशिक्षण कार्यक्रम की  विषयवस्तु थी मध्यस्थता के द्वारा लंबित प्रकरणों का निराकरण कैसे किया जाय जिसमे उन्होंने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 320 का जिक्र करते हुये बताया कि किन अपराधों के संबंध में मध्यस्थता करायी जाती है और अधिवक्ता किस प्रकार काउन्सलिंग कर मध्यस्थता द्वारा प्रकरण का निराकरण कर सकते है, साथ ही उन्होने बताया कि परिवार न्यायालय के अंतर्गत लंबित सभी मामलों को समझौते के आधर निराकृत किया जा सकता है, अगर दोनों पक्छ राजी हो तो , उन्होंने पक्छ कारो  को  मध्यस्ता के लिये किस प्रकार  राजी किया जाय इसका तरीका भी बताया ,प्रशिक्षण कार्यक्रम अत्यंत ज्ञान वर्धक रहा , कार्यक्रम में विधिक सहायता अधिकारी श्री चंसोरिया जी , वरिष्ट अधिवक्ता अरुण मिश्रा,अधिवक्ता प्रदीप तिवारी , श्री निवास पांडेय , मिना सिंह बघेल, अधिवक्ता साकिर खान वरिष्ट अधिवक्ता श्री राजेश लखेरा जी,अधिवक्ता श्री शुक्ला जी, अंजुलता तिवारी, एव पैरा लीगल वोलेंटियर उपस्थित थे, कार्यक्रम के अंत मे विधिक सहयता अधिकारी श्री चंसोरिया जी द्वारा आभार व्यक्त किया गया।

साभार
प्रदीप तिवारी  
अधिवक्ता जिला एवं सत्र न्यायालय काटनी