Sunday, August 4, 2019

Acceptance of multimedia services(M. M. S)as a electronic evidence.

1--मल्टी मीडिया मेसेजिंग सर्विसेज ---

एक परिचय ---MMS का पूरा नाम नाम मल्टी मीडिया मेसेजिंग सर्विसेज हैँ l
यह S. M S.  का एक विस्तार स्वरुप हैँ !जोW. A. P.  तकनीक के माध्यम से सामग्री का आदान प्रदान करता हैँ, S.M. S.  तकनीक का सुधार सन 1990 मेँ हुआ जब इसमें टाइप करने के लिए विशेष रंगों के अक्छरो की सुविधा मिली,
यह तकनीक Open mobile alliance द्वारा विकसित हुई
जो 3GPP. एवं W. A. P.(वायरलेस एप्लीकेशन प्रोटोकॉल )से सम्बंधित हैँ !साधारणतः देखा जय तो MMS को भेजनें की पूरी प्रक्रिया S. M.S, के भेजनें के सामान होती हैँ, पर जब कोई M.M. S.  सलग्न सामग्री भेजी जाती हैँ, तो वह किसी पाठ मेँ (encode)होकर जाती हैँ.!
यह प्रक्रिया वैसे ही हैँ जैसे एक Multipurpose Internet MIME. ई -मेल भेजी जाती हैँ, किसी S. M. S. एवं M. M. S.  का ई -मेल पर आधारित गेट वे एक सामान हैँ!विश्व स्तर पर व्यावसायिक रूप से M.M.S. की स्थापना सन 2000 मेँ टेलर द्वारा की गयी थी !M.M.S. प्रारम्भ से ही
W. C. D. M. A.  एवं C. D. M.A.  के 3G.  प्रणाली का भाग रहा हैँ और 4G.  मेँ भी यही काम कर रहा हैँ, प्रारंभिक अवस्था मेँ M. M. S.  का सफर S. M. S. से शरू हुआ, और आज के दौर मेँ दिए गए आकड़ो के आधार पर एक सप्ताह मेँ लगभग 10,मिलियन लोग ई -मेल एवं वीडियो मेसेज मोबइल एवं इन्टरनेट के माध्यम से भेजते हैँ!                           

                                          Acceptance of electronic evidence under the evidence act 1872 

     


मल्टीमीडिया तकनीक मेँ पायेजाने वाले फीचर ----:
. इमेज फ़ाइल
. विडिओ फाइल
. ऑडिओ फाइल
. मेमोरी कार्ड
. मेमोरी स्टेटस
. वेब हिस्ट्री
. वायरलेस एप्लीकेशन प्रोटोकॉल सिस्टम
. मल्टीमीडिया मैसेजेस.
3... मल्टीमीडिया के माध्यम से मोबाइल फ़ोन के माध्यम से फाइलों का आदान प्रदान -------:
1)--ब्लू टूथ के माध्यम से ---
ब्लू टूथ मोबाइल फ़ोन की आधुनिक तकनीक है, एवं स्मार्ट प्रणाली है !यह कम दूरी की वायरलेस संचार प्रणाली के लिए काम आता है, ब्लू टूथ एक डिवाइस है जो एक माध्यम से दूसरे माध्यम मेँ फाइल को ट्रांसफर करने के काम मेँ आता है, ब्लू टूथ का ज्यादा तर उपयोग एक मोबइल से दूसरे मोबइल तक फाइल ट्रांसफर करने के लिए होता है, साथ ही डेस्क टॉप और लैपटॉप मेँ भी इसका उपयोग आसानी से किया जाता है,!
मोबाइल फ़ोन का इन्टरनेट से लिंक होना -----
W.A.P. (वायरलेस. एप्लीकेशन प्रोटोकॉल ) टेक्नोलॉजी से कोई मोबइल इन्टरनेट से कनेक्ट होता है, इस तकनीक का विकास सन 1999 मेँ किया गया !इस तकनीकी का उपयोग सभी मोबइल फ़ोन बनाने वाली कम्पनी ने किया, इस तकनीक मेँ W.M.L. फॉर्मेट का उपयोग किया गया जिसके कारण कंप्यूटर मेँ प्राप्त होने वाली हर सुविधा मोबाइल मेँ प्राप्त होने
लगी !
2----G.P.R.S.(जरनल रेडिओ पैकेट सर्विस  ) सिस्टम के आ जाने से W.A.P. वायरलेस एप्लीकेशन प्रोटोकॉल सिस्टम मेँ जो कमिया थी वो दूर हो गई, जैसे इसकी गति की कोई सीमा नहीं है,इसमें कनेक्शन सदैव चालू रहता है!

M.M.S. द्वारा अश्लीलता फैलाने पर साइबर अपराध !
.धारा 67:- अश्लील सामग्री को भेजना /डाऊनलोड करना!
.धारा 67(क ):-लैंगिक सामग्री को भेजना डाऊनलोड करना
.धारा 67(ख ):---लैंगिक सामग्री को भेजना डाउनलोड करना !
MMS. तकनिकी का दुरपयोग ----जैसे -जैसे तकनीक का सुधार हुआ वैसे -वैसे इस तकनीक का दुरपयोग करने वालो की संख्या भी बढ़ती गई!ऐसा उन मोबइल फ़ोन के कारण हुआ जिनमे फोटो खींचने, वीडियो बनाने, एवं वीडियो एवं पिक्चर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजनें की छमता है इस बहतरीन तकनीक का उपयोग लोगो ने अपनी मौज मस्ती के साधन के तोर पर कर लिया है, और निरंतर साइबर अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है !
मोबइल फ़ोन से वाइरस फैलाना ----
. मोबइल फ़ोन मेँ  वाइरस M. M. S.  की फाइल को संलग्न करके भेजा जाता है!
. ब्लू टूथ के माध्यम से भी वाइरस फैलाया जाता है, 
. कप्म्यूटर से डेटा के आदान प्रदान से भी वाइरस फैलता है, साथ ही ई --मेल के माध्यम से भी वायरस फैलाया जाता है !
                                                         ----:   महत्वपूर्ण केस ----:
सन 2004 मेँ दिल्ली के D. P. S.  पब्किक स्कूल का M. M. S. Clip.  ने पुरे देश को हिला कर रख दिया !इसमें स्कूल की बालिका को सहपाठी के साथ अश्लील क्रिया करते दिखाया गया था, इस M. M. S. क्लिप को पाने की कई लोगो की लालसा उत्पन्न हो गई, और इसी बीच डीपीएस स्कूल के छात्र ने उक्त क्लिप को I. I. T.  खरगपुर के छात्र को भेज दिया.!I.I.T खरगपुर पुर के इस छात्र ने उक्त वीडियो को एक ऑक्शन वेबसाइट बाजी. कॉम (Bazee. Com)पर 125 रूपए पर अपलोड कर दिया, पीड़िता के पिता की शिकायत पर Bazee. Com.  के डायरेक्टर अवनीश बजाज  को दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया, उन्हें सूचना प्रद्योगकी की धारा 67 एवं दण्ड सहिता की धारा 292 के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया!अपने बचाव मेँ अवनीश बजाज द्वारा माननीय उच्च न्यायालय दिल्ली मेँ 482 दण्ड प्रक्रिया सहिंता के अंतर्गत आवदेन पत्र प्रस्तुत किया, एवं समस्त प्रक्रिया को रद्द करने की याचिका दायर की, इस पर माननीय उच्च न्यायालय ने प्रथम दृष्टया सूचना प्रद्योगकी की धारा 67 के अंतर्गत अपराध माना !
केस -----अवनीश बजाज बनाम स्टेट ऑफ़ दिल्ली 150(2008)दिल्ली लॉ टाइम्स 769(दिल्ली )--

साभार 
प्रदीप तिवारी (अधिवक्ता )
7879578306