ऑन लाइन जुआ -
-एक परिचय -:
जुआ के सम्बन्ध मेँ विभिन्न देशो मेँ विभिन्न प्रावधान होते हैँ, कुछ में देश जुआ प्रतबंधित हैँ, तथा कुछ देशो मेँ वेध, इन्टरनेट के माध्यम से विभिन्न वेबसाइट द्वारा यूजर को लाटरी, ऑनलाइन जुआ खेलने का प्रलोभन दिया जाता हैँ, ऐसी स्थिति मेँ अपराध का पता कर पाना बेहद मुश्किल हैँ, जब एक देश की सरकार ऑनलइन जुआ खेलने को प्रतिबंधित करती हैँ एवं दूसरे देश की सरकार ऑनलइन जुआ खेलने को अपराध नहीं मानती,!ऑनलाइन जुआ खेलने मेँ सबसे बड़ा खतरा यूजर के डेटा और डेबिट और क्रेडिट कार्ड का पासवर्ड चोरी होने मेँ हैँ, यूजर के द्वारा ऑनलइन जुआ खेलने मेँ कोई इस्पष्ट प्रावधान न होने के कारण सार्वजनिक जुआ अधिनियम 1867 लागू होता हैँ, परन्तु कुछ विशिष्ट पतिस्थ्तियो मेँ छल करना, आपराधिक न्यास भंग (धारा 309(1) से (viii) एवं आपराधिक दुर्विनिओग की धारा( 403) का प्रयोग किया जा सकता हैँ, सूचना प्रद्यौगकी की धारा 75 के अनुसार यदि कोई अपराध भारत मेँ स्थित किसी कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली, या कंप्यूटर नेटवर्क को निशना बनाकर भारत देश के बाहर किया गया हैँ, तो ऐसी स्थिति मेँ साइबर अपराध होने की सूचना मिलने पर सूचना प्रौद्योगकी अधिनियम 2000 के प्रावधान लागू होंगे !इसके लिए धारा 81 को भी देखा जाना आवश्यक हैँ की इस धारा की सुसंगता उपरोक्त अपराध के सन्दर्भ कहा तक वैध हैँ!
: ---------- On line gambling--------:
2----अपराध ऑनलाइन जुआ ----:
. सार्वजनिक जुआ अधिनियम, 1867 की धारा 3 के अंतर्गत प्रतिबंधित एवं अपराध घोषित !
3---असंज्ञेय एवं जमानतीय.
. धारा 3 मेँ जुआ घर के स्वामी या भारसाधक के लिए दण्ड का प्रावधान हैँ, एवं धारा 4 के अंतर्गत जुआ घर मेँ पाए जाने मेँ दण्ड की व्यवस्था हैँ !साथ ही धारा 5 मेँ मेजिस्ट्रेट जिला मजिस्ट्रेट जिला पुलिस अधीछक के पास विश्वशनीय सुचना होने पर जुआ घर मेँ प्रवेश करने तथा तलाशी लेने की शक्तियां प्राप्त हैँ!
धारा 3के अंतर्गत अपराध अजमानतीय हैँ, एवं शेष के लिए जमानतीय हैँ!
(जुआ घर के स्वामी होने पर पकडे जाने पर लगने वाली धाराएं )
धारा 3, 5, और 13 एवं 7
.अधिकतम सजा एक मास से लेकर एक वर्ष तक का कठोर कारावास और जुर्माना ;
अन्वेषण अधिकारी -----: थाने का भारसाधक अधिकारी या उपनिरीक्छक. !
प्रकरण का विचारण प्रथम श्रेणी मेजिस्ट्रेट के न्यायालय मेँ होगा,!
दण्ड का विधान ---:प्रथम बार अपराध करीत करने के लिए तीन माह की सजा |
दूतीय बार अपराध करने पर प्रथम बार अपराध का दुगना!
जुर्माना ----:-प्रथम बार अपराध मेँ 200/रूपए जुर्माना !
दूतीय बार अपराध होने पर प्रथम बार किये अपराध मेँ लिए गए जुर्माने का दुगना !
साभार
प्रदीप तिवारी (अधिवक्ता )
7879578306