Monday, October 7, 2019

Mobile phone cloning

मोबाइल फ़ोन क्लोनिंग एक परीचय -------:

किसी मोबाइल की सम्पूर्ण पहचान जिसमे उसका सेक्युरटी डेटा  भी सम्मलित होता है ,किसी  दूसरे मोबाइल पर कॉपी (copy )कर  स्थानान्तरित करना मोबाइल फ़ोन क्लोनिग कहलाता है ,ऐसे में एक ही मोबाइल फ़ोन दोनों अर्थात वास्तविक  एवं कॉपी डेटा से फ़ोन काल की जा सकती है ,परन्तु बिल वास्तविक फोन का ही प्राप्त होगा। 


मोबाइल फ़ोन क्लोनिग किस प्रकार होती है ---:


सभी मोबाइल फ़ोन में पाए जाते है ---:
                                       
                                                                _-------------:  Electronic serial No.(ESN)
                       
                                                              
                                                                 ---------------:Mobile Identification no. (M.I.N)

बहुत सारी  उपलब्ध इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस से ESN /MIN से प्रोग्रामिंग कर दी जाती है ,या माइक्रोचिप को अदल बदल दिया जाता है ,और दूसरे मोबाइल फ़ोन पर ये चालू कर दी जाती है ,इस सारी   प्रक्रिया में पांच से दस मिनट लगते है ,इस प्रक्रिया का वास्तविक ग्राहक उपभोक्ता को ज्ञान ही नहीं होता। 

भारत में मोबाइल फ़ोन क्लोनिग का महत्वपूर्ण केस-------:

एक वाद में सईद आसिफ बनाम आंध्रा राज्य के तथ्य कुछ इस प्रकार थे। 
दिल्ली पुलिस ने टाटा टेलीकॉम की शिकायत पर चार अभियुक्तों को पकड़ा एवं जिनके पास से 33 क्लोन फोन ,कंप्यूटर , सॉफ्टवेयर को जब्त किया गया।उन्होंने बताया की वे इसे 800 से 1000 रूपए के बीच एक फ़ोन को बिल फ्री क्लोन कर देते थे। यह केस जब न्ययालय पहुंच तो  न्ययालय  ने कहा की वादियों ने रिलायंस  फ़ोन की क्लोनिंग कर  टाटा इंडिकॉम  में कॉपी किया है.इस समय न्यायालय के जेहन में ये सवाल था की क्या मोबाइल फ़ोन क्लोनिंग हैकिंग  के अपराध के अंतर्गत आ सकता है।विचारण उपरांत न्यायालय ने पाया की पुलिस द्वारा अपराधियों के विरुद्ध  सुचना प्रद्योगकी की धरा 66 के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध करना चाहिए   । 

मोबाइल फ़ोन क्लोनिक के अपराध के लिए दंड 


अपराध मोबाइल फ़ोन क्लोनिग -
धरा 43 ,65 ,एवं 66 (सुचना प्राधाकि अधिनियम 2000 )के अंतर्गत अपराध  घोषित। 
 संज्ञेय एवं अजमानतीय (धारा 77 -बी ,सुचना प्रद्योगकी अधिनियम 2000 )
अन्वेषण --पुलिस अधिकारी द्वारा  किया जायेगा 
  • दंड --{तीन  वर्ष का कारावास  या जुरमाना दोनों}। 
  • {जुर्माना दो लाख रूपए तक धारा 65 के लिए} 
  • {जुर्माना पांच लाख रुपये तक धारा  66 के लिए} 
{विचारण न्यायलय प्रथम वर्ग मेजिस्ट्रेट}
वर्णित केस यहा  से देख सकते है --- 2005 क्रिमनल लॉ जरनल 4314 
साभार 
प्रदीप तिवारी (अधिवक्ता )
कटनी (मध्य प्रदेश )