जिला अभियोजन शाखा कटनी के द्वारा अभियोजन अधिकारियों के प्रशिक्षण हेतु कार्यशाला का आयोजन
जिला अभियोजन शाखा कटनी के द्वारा अभियोजन अधिकारियो के प्रशिक्षण हेतु कार्यशाला का आयोजन।।




दिनांक 30।1।2022 दिन रविवार को जिला अभियोजन शाखा कटनी के द्वारा माननीय जिला अभियोजन अधिकारी श्री हनुमंत किशोर शर्मा जी के कुशल नेतृत्व में कटनी शहर के ह्रदय स्थल में स्थित होटल ऋषि रीजेंसी में आजादी के अम्रत महोत्सव के उपलक्ष्य में अभियोजन अधिकारियों के प्रशिक्षण हेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया ,जिसमें कटनी जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री श्यामा चरण उपाध्याय जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की कार्यक्रम में जिला पुलिस अधीक्षक श्री सुनील जैन साहब मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए एवं अतरिक्त जिला अध्यक्ष श्री टोप्पो साहब,कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश श्री आर.पी .सोनी साहब , मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी श्री चौहान साहब ,एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष श्री अमित शुक्ला विशिष्ट अथिति के रूप में कार्यक्रम में सम्मलित हुए,कार्यक्रम का शुभारंभ मा सरस्वती की वंदना एव स्वागत गीत द्वारा आरम्भ हुआ जिसे महिला अभियोजन अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत किया गया ।तदुपरांत जिला अभियोजन अधिकारी श्री शर्मा जी द्वारा अथितियों के स्वागत हेतु स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया साथ ही अभियोजन अधिकारी श्री शर्मा जी द्वारा कार्यक्रम की रुप रेखा भी प्रस्तुत की गई।कार्य क्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि पुलिस अधीक्षक श्री जैन साहब ने बताया कि किसी भी अपराध की विवेचना अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है, अगर विवेचना ठीक तरीके से न कि जाए और अपराधी दोष मुक्त हो जाता है,तो इससे समाज मे गलत संदेश जाता है,अगर विवेचना सही होती है,तो गुनाहगार को दंड भी मिलता है और निर्दोश व्यक्ति को सजा नही मिल पाती, साथ ही उन्होंने बताया कि आज कल 90% प्रतिशत अपराधों में साइबर प्रणाली का उपयोग हो रहा है।अतः पुलिस एवं अभियोजन को साइबर क्राइम की जानकारी होना आवश्यक है, इसके लिए विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाय जाने की आवयश्कता है।कार्यक्रम को विशिष्ट अतिथि अतरिक्त कलेक्टर श्री टोप्पो साहब ने सम्बोधित किया ,तदुपरांत जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में खाद्य सुरक्षा अधिनियम के बारे में बात करते हुऐ बताया कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत जहा तक डिब्बा बंद या पैक खाद्य सामग्री का प्रश्न है उसमें वेंडर के साथ साथ उसके निर्माण करता को भी पक्छ कार बनाना चाहिय क्योकि उसका सामग्री का निर्माण करता ही प्रमुख रूप से दोषी होता है, क्योकि खाद्य सुरक्षा अधिनियम में स्पष्ट प्रवधान है कि सामग्री का निर्माण कर्ता प्रमुख रूप से दोषी होता है,इसलिए उसे पक्छकार बनायाना आवश्यक है।इसके उपरांत उन्होंने ने अमेरिका उदाहरण देते हुए बताया कि वहा पर वैज्ञानिक अन्वेषण इतना दक्झ है कि लगभग 90% मामलों में अपराधी को सजा होती है, ऐसे ही वैज्ञानिक अन्वेषण की भारत मे भी आवयश्कता है,अगर अभियोजन द्वारा प्रस्तुत गवाह मामले में पक्छ द्रोही भी हो जाए तो भी अभियुक्त को सजा मिल सके ,माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश के सारगर्भित उद्धबोधन के पष्चात व्याख्यान माला का आरंभ हुआ जिसमें प्रथम चरण में संयुक्त संचालक यफ.यस.एल जबलपुर श्रीमती दीप्ति श्रीवास्तव ने अपना व्यख्यान प्रस्तुत किया उनका विषय था, फॉरेंसिक सक्छ य को न्यायालय में प्रस्तुति करण में अभियोजन की भूमिका ,उन्होंने बताया कि फोरेंसिक अन्वेषण के पश्चात सक्छ य को किस प्रकार न्यायालय में अभियोजन को प्रस्तुत करना चाहिए ,डी. एन. परीक्छण किस प्रकार किया जाता है और अभियोजन की तदसन्दर्भ में क्या भूमिका हो होती है,साथ ही उन्होंने बताया कि वर्तमान में पास्को से संबंधित मामले में अभियोक्त्री का बाय लॉजिकल परिकक्षण कराने पर जोर दिया जा रहा है।भोजन अवकाश के पश्चात दुतीय सत्र में विधिक सेवा प्राधिकरण कटनी के सचिव श्री दिनेश कुमार नोटिया साहब ने अपना व्यख्यान प्रस्तुत किया, उनका विषय था ,विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पीड़ित पक्छ को आर्थिक सहायता किस प्रकार दी जाती है,एवं पीड़ित पक्छ को आर्थिक सहायता देने के लिये शासन की क्या योजनाये है बताया ,उन्होंने बताया कि अभियोजन पक्छ को पैरवी करते समय अभियुक्त को दण्ड के प्रश्न के साथ साथ पीड़ित पक्छ को मुआवजा दिलाने की बात कहना चाहिए ,उन्होंने ने आगे बताया कि अगर किसी व्यक्ति की हत्या हो जाती है वर्तमान में सरकार द्वारा उसके परिवार को चार लाख तक का मुआवजा सरकार द्वारा दिया जाता है।व्यख्यान माला के तृतीय सत्र में अधिवक्ता प्रदीप तिवारी ने साइबर अपराध और अभिजोन कि भूमिका विषय पर प्रकाश डाला ,उदबोधन के प्रथम चरण में साइबर अपराधों के संदर्भ में जानकारी दी, जिसमे ऑनलाइन ठगी, साइबर आतंकवाद, सायबर पोर्नोग्राफी, साइबर स्टॉकिंग, वेब जैकी ग,सलामी अटैक, स्पाई वियर ,आदि साइबर अपराधों के बारे में जानकरी दी ,इसके पश्चात उन्होंने साइबर क्राइम के अन्वेषण के सबंध में बताया कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा अनवर विरुद्ध बशीर के मामले में दिशा निर्देश दिए गए है ,जिसमे विशेष रूप से बताया गया है कि सूचना प्रद्योगिकी अधिनियम की धारा 80 साइबर अपराधों के अन्वेषण के संधर्भ में विशेष महत्व रखती है,एवं धारा 78 के अनुसार किसी थाने का इंस्पेक्टर रैंक का अधिकरी ही साइबर मामलों का अन्वेषण कर सकता है,इसके पश्चात उन्होने इलेक्ट्रॉनिक एविडेन्स संदर्भ में अर्जुन पाटीदार विरुद्ध दिनेश 2020 के मामले का ज़िक्र करते हुए बताया कि मननीय उच्चतम न्यायालय ने उक्त निर्णय में तदसन्दर्भ में आई विसंगतियों को काफ़ी हद तक दूर कर दिया है।जिसमें इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखो को न्यायालय में प्रस्तुत करते समय कब प्रमाण पत्र की आवयश्कता होगी बताया गाया है।चाय उपरांत अंतिम सत्र में नरसिंह पूर के अतिरिक्त अभियोजन अधिकारी श्री प्रदीप पटोले ने आयुध अपराध के संदर्भ उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित नवीन न्यायीक द्रष्टान्त पर प्रकाश डाला । इस अंतिम व्यख्यान के बाद समापन सत्र का आयोजन किया गाया जिसमे व्याख्यान माला में भाग लेने वाले प्रतिभागियोंको प्रमाण पत्र वितरीत किए गए,उक्त समापन सत्र में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश श्री आशुतोष मिश्रा ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किये।उक्त व्यख्यान माला में सतना ,नरसिंह पुर ,कटनी से आये लगभग 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया कार्यक्रम अत्यन्त सफल और ज्ञान वर्धक रहा।
साभार
प्रदीप तिवारी(अधिवक्ता)
जिला एवं सत्र न्यायालय कटनी