Saturday, February 5, 2022
विधिक सेवा प्राधिकरण कटनी द्वारा श्रम कानून के संबंध में कार्यशाला आयोजित
Friday, November 12, 2021
कटनी विधिक सेवा प्रधिकरण की अनूठी पहल ,आजादी के अमृत महोत्सव के कार्यक्रम का आयोजन
मीटिंग केे दौरान श्री नोटिया जी ने बताया कि दिनांक 14।11।2021 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री श्यामा चरण उपाध्याय जी केे कुशल मार्गदर्शन में फॉरेस्टर प्ले ग्राउंड काटनी में विधिक सक्छ रता शिविर का आयोजन किया जा रहा हैै,जिसमे आम जन मानस को विधिक सेवा प्राधिकरण की योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी दी जाएगी साथ ही सुबह ज्ञारह बाजे प्रभात फेरी का आयोजन किया जाएगा ।मीटिंग के दौरान विधिक सेवा प्राधिकण के सचिव महोदय ने आगे यह भी बताया कि ,ग्वालियर बेंच उच्च न्यायालय के द्वारा रिट याचिका क्रमांक 7203/2018 मेवा लाल विरुद्ध मध्य प्रदेश शाषन में गरीबी उन्मूलन के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण को दिशा निर्देश जारी किए है, जिसके अन्तर्गत शासन की चलने वाली योजनाओं में अगर किसी लाभार्थी को लाभ नहीं दिया जाता और उसका हक छीन लिया जाता है,तो वह सिधा विधिक सेवा प्रधिकरण में स्वयं या अधिवक्ता के माध्यम से शिकायत कर सकता है, शिकायत करने पर हितग्राही की समस्या का तुरंत निराकरण किया जयगा ओर उसकी द्वारा की गई शिकायत को याचिका ही समझा जाएगा और उच्च न्यायालय इस शिकायत पर स्वयं सज्ञान ले सकती है, तत संबंध की जानकारी भी आयोजित मेगा शिविर में दी जाएगी , अत: आप सभी नगर वासियों से निवेदन है भारी संख्या में अपने साथियों सहित पहुंच कर शिविर को सफल बनाय ,साथ ही इस शिविर में स्टाल लगाकर बिजली के बिल संबंधी समस्याओं और उपभोक्ता कि समस्याओं का शीघ्र निराकरण किया जाएगा ,अत: ग्रामीण जनो से निवेदन है कि अधिक से अधिक संख्या मै पहुंच कर शिविर का लाभ प्राप्त करे ओर शिविर को सफल बनाए।
Wednesday, November 3, 2021
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
सभी देश वासियों को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
दीप जलाओ दीप जलाओ आज दिवाली आई रे।Sunday, October 31, 2021
न्याय सब के लिये (justice for all)
न्याय सब के लिये
भारत का संविधान 26 जनवरी सन 1950 को पारित हुआ।संविधान के अनुसार ,भारत मे निवास करने वाले सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए, जिमसें समानता का अधिकार ,जीने का अधिकार, संपत्ति का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार ,शिक्षा का अधिकार ,ओर समान रूप से न्याय पाने का अधिकार प्रमुख रूप से है, पर फिर भी गरीब और सर्वहारा वर्ग के लिये न्याय पाना एक दूर की कोडी थीं
रहीम दास जी का दोहा है -:
दिनहीँ सबन को लखत है, दिनहीँ लखे न कोई।।
जो रहीम दिनहीँ लखे ,दीन बन्धु सम होइ।।
इस दोहे का सार है, की जो दीन ओर गरीब व्यक्ति होता है, वह समाज के हर व्यक्ति के प्रति समर्पण भाव रखता है,परन्तु उसके प्रति कोई समर्पण का भाव नही रखता ,ओर वह अपने आप को समाज से कटा हुआ महसूस करता है ,परंतु अगर समाज का बड़ा तबका उसका ख्याल रखे तो समाज मे समरसता होगी और समाज आगे बढ़ेगा, इसी दोहे की पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए भारत सरकार ने संविधान में संशोधन करते हुए अनुच्छेद 39(A)जोड़ा जिससे गरीब तबके के लोगों को बिना कोई राशि' पैसा दिये न्याय मिल सके, इसके लिये भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय ,ओर जिला न्यायालय, ओर यहां तक कि सुदूर ग्रामीण छेत्र में भी जहा पर न्यायालय संचालित हो रहे है,विधिक सेवा केंद्रों की स्थपना की,जिसके माध्यम से गरीब तबके के व्यक्ति जिसके पास न्याय पाने के लिए पैसा और संसाधन नही है,आवेदन करने पर तत्काल विधिक सहायता प्रदान की जाती है, राज्य के प्रत्येक जिले में विधिक सहायता केंद्र स्थापित किये गए हैं, जो प्रत्येक जिले के जिला एवं सत्र न्यायालय के अंतर्गत आते है ,जिसका संचालन सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा किया जाता है, साथ ही विधिक सेवा अधिकारी विधिक सेवा प्राधिकरण की योजनाओं और जनता को सुलभ न्याय पहुचाने के लिये तत्पर रहते है।गरीब जनता को सुलभ न्याय प्रदान करने के लिये विधिक सहायता प्राधिकरण द्वारा योग्य अधिवक्ताओ की नियुक्ति की जाती है, जो न्यायालय में पक्छ कार से बिना कोई शुल्क लिये पैरवी करते है, साथ ही प्राधिकरण द्वारा पैरा लीगल वोलेंटियर की भी नियुक्ति की जाती हैं, जो विधि सेवा केंद्रों में आने वाले पीड़ित व्यक्तियों की न केवल काउंसलिंग करते है, बल्कि उन्हें कानूनी सहायता प्रदान करने के लिये हर संभव प्रयास करते है।वर्तमान में विधिक सहयता प्राधिकरण का दायरा काफी व्यापक हो गया, जिसके अंतर्गत लोक अदालत का आयोजन कर न्यायालय में लंबित मुकदमो का पक्छ कारो के मध्य समझौता कराकर मुकदमो का निराकरण करना मुख्य कार्य है।साथ ही ,जिला विधिक सेवा अधिकरण द्वारा समय-2 सामाजिक संस्थाओं की सहायता लेकर विधिक सहायता शिवरों का आयोजन किया जाता हैं, जिसके माध्यम से बालको, महिलाओ ,के क्या अधिकार है, की कानूनी जानकारी प्रदान की जाती है,, साथ ही विधि सहायता किस प्रकार प्रदान की जाती है, इसकी जानकारी सहज रूप से जनता को प्रदान की जाती है। इसी कड़ी में प्रत्येक माह में जिले के विद्यालयों एवं महा विद्यालयों में विधक सहायता शिवर का आयाजन किया जाता है, जिसके मार्फ़त विधिक सेवा की जानकारी आम जनमानस को दी जाती है, इस तरह से संविधान की मंशा के अनुसार ,भारत सरकार एवं माननीय सरवोच्च न्यायालय के निर्देश पर विधिक सेवा प्राधिकरण न्याय सब के लिये की मंशा को साकार कर रहा है।
साभार
प्रदीप कुमार तिवारी(अधिवक्ता)
पैनल (अधिवक्ता )
विधिक सेवा प्राधिकरण
जिला एवं सत्र न्यायालय कटनी
7879578306
Sunday, April 11, 2021
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पर ब्लॉक
रष्ट्रीय सुरक्छा कानून क्या है।
भारत के अंदर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को भारतीय संसद में 23 सितंबर सन 1980 में कुछ परिस्थितियों में भारत विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिये पारित किया गया था।जिसके अंतरगत 18 सेक्शन है,यह अधिनयम जम्मू कश्मीर समेत सम्पूर्ण भारत मे लागू होता है,जो की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को रोकने का काम करता है। इस अधनियम का प्रमुख उद्देश्य यह है, की अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य देश के साथ मिलकर देश विरोधी गतिविधयों का संचालन करता है, या किसी अन्य देश के व्यक्ति के साथ मिलकर देश की रक्छा से संबंधित गुप्त सूचनाएं साझा करता है, या देश मे ही दूसरे देश से प्रभावित होकर देश विरोधी नारे लगता है, युद्ध जैसे हालात उत्पन्न करता है, भारत के राष्ट्रीय झंडे का अपमान करता है,तो वह राष्ट्र विरोधी माना जायेगा , जिसके लिये उसे सजाय मोत भी हो सकती है।
राष्ट्रीय सुरक्छा कानून का इतिहास।
राष्ट्रीय सुरक्छा कानून ऐसा कोई पहला कानून नही है जो इसे देश में लाया गया हो, जैसा कि आप सभी जानते है कि इस देश मे अभी भी हम अग्रेजो के बनाय गए कानूनों कॊ ढो रहे है, तो भारत में भी इसकी शुरुआत राष्ट्रीय कानून के नाम पर ,लार्ड मैकाले ने रखी ,जो भारतीय शिक्षा पद्धति का जन्म दाता भी था,इसके बाद दूसरे विश्व युद्ध के समय सन 1915 में इसमें संशोधन किया गया और रॉलेट बिल के नाम से भारत में लागू किया गया जिसके विरोध में जलिया वाला बाग हत्या काण्ड हुआ, इसी कानून का विरोध करने इकठ्ठे हुए सीखो को जर्नल डाय र ने भून डाला ,और उसी कानून को आज भी हम लागू किए हुए है, जो ब्रिटेन में समाप्त कर दिया गया आस्ट्रेलिया अमेरिका एवंं अन्य लोकतांत्रिक देशो में बड़ी ही सावधानी पूर्वक इस कानून को अमल में लाया जाता है, जिससे आम नागरिकों को कोई तकलीफ़ ना हो। भारत के संविधान के अनुच्छेद 21,22 में भारत के लोगो को जीवन कि रक्छा और स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है, जिसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय ये के गोपालन यूनियन ऑफ इंडिया तथा मेनका गाधी विरूद्ध यूनियन ऑफ इंडिया के केस में विस्तार से समझाया गया है की राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर फर्जी किसी को नहीं फसाया जा सकता । राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का दुरुपयोग ना केवल इस सरकार में बल्कि पूर्व वार्ती सरकारों ने भी किया है अकड़े बताते कि सन् 1993 में 3783 मामलों में 72.3% लोगो को राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून से बरी किया गया , इंद्रा गांधी जी की सरकार में भी इसका खूब दुरपयोग हुआ । वर्तमान सरकार में ऎसा दुरपयोग हो रहा कि जिसकी कोई कल्पना भी नहीं की जा सकती,अगर कोई सरकार से किसी मुद्दे से भिन्नता रखता है तो वह देश विरोधी नहीं हो सकता , सरकार से विरोधी होना एक स्वस्थ लोकतंत्र का हिस्सा है।
उपसंहार
सरकार अती जाती रहती है, पर बेचारी पिसती है आम जनता अगर किसी ,एक व्यक्ति को भी झूठा फसाया जाता है तो उसका परिवार तबाह हो जाता ,क्योंकि भारत की न्याय व्यवस्था ऎसी है कि फैसला आने में काफी समय लग जाता है। अतः इस कानून को समाप्त किया जाना उचित हैै l
प्रदीप तिवारी अधिवक्ता
जिला और सत्र न्यायालय
कटनी
मोबाइल (7879578306)
Friday, April 2, 2021
Block Chain technology
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वर्तमान समय मे ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी की चर्चा भारत मे बहुत जोरो से हो रही ,सर्वप्रथम ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी की बात संसद में तात्कालिक वित्तमंत्री अरुण जेटली जी ने उठाई थी,जिसका उपयोग बिट क़वाईन करेंसी ,अर्थात इनटरनेट मनी के लेन देन के लिए किया जाता है, बिट क़वाईन करेंसी को डिजिटल मनी भी कहते है।ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी का उपयोग डिजिटल लेन देन साथ साथ अन्य सरकारी कामो जैसे राजस्व विभाग से समन्धित कामो में बखुबी उपयोग किया जा सकता है।ब्लॉग चैन तकनीक में पर्सनल 'की' (निजी कुंजी) की क्रिप्टोग्राफी अर्थात् जानकारी को गुप्त रखना और प्रोटोकॉल पर नियंत्रण रखना शामिल है। ब्लॉक् चैन तकनीक ठीक उसी तरह है जिस प्रकार कंप्यूटर आपस मे एक दूसरे से जुड़े रहते है।ओर सूचनाओ का आदान प्रदान एक दूसरे से होता रहता है,इसी तर्ज पर 2008 में ब्लॉक् चैन तकनीक का अविष्कार हुआ ,जो क्रिप्टो करेंसी एव ब्लॉक चैन तकनीक को बढावा देने लिए किया गया है।
ब्लॉग चैन तकनीक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें किसी मिडिएटर का रोल नही रह जाता और कस्टमर टू कस्टमर लेंन देन होता है जो की एक पासवर्ड के अंतर्गत सुरक्छित रहता है, एवं जिसे जब कभी चाहे कस्टमर देख सकता है, ओर ये हमेशा के लिये इन टेर नेट में पड़ा रहता है।
ब्लॉक चैन तकनीक के लाभ ।
ब्लॉग चैन तकनीक का सबसे बड़ा लाभ है कि इसमें किसी बिचोलिये अर्थात पे टी एम,या बैंक की जरूरत नही पड़ती ,यह अत्यधिक सुरक्छित ,एवं लेन देन का सस्ता विकल्प है, आसानी से ,हैकर इसे हैक नही कर सकते एवं यह एक मुद्रा विनमय का सस्ता विकल्प है।
ब्लॉक् चैन तकनीक की हानि
इस तक नीक की सबसे बडी हानि यह है की पासवर्ड भूल जाने पर लेन देन की जानकारी नही हो सकती ।
भारत जैसे देश मे अभी इसका बढ़ावा देना संभव नही है क्योंकि अभी भी अधिकतर आबादी डिजीटल लेन देन से अछूती है।
उपसंहार
संछेप में कहे तो ब्लॉक् चैन तकनीक मुद्रा विनिमय का एक अच्छा माध्यम है,,ब्लॉक चैन तकनीक का उपयोग अन्य सरकारी कामो के लिये भी किया जा सकता है,जिससे भ्रष्टाचार में कमी आ सकती है।इस तक नीक की लागत अत्यंत कम है, पर भारत जैसे विकाश शील देश मे लागू करने के पहले इसमे काफी अध्यन की जरुरत है।।
की वर्ड
ब्लॉक चैन, क्रिप्टो करेंसी, बिट क़वाईन
साभार
प्रदीप कुमार तिवारी(अधिवक्ता)
जिला एवं सत्र न्यायालय कटनी
7879578306